इस बुरी स्थिति मे कैसे पहुंचा देश का सबसे बड़ा राजनैतिक परिवार ?

नई दिल्ली, क्या किसी ने कल्पना की थी कि देश का सबसे बड़ा राजनैतिक परिवार आज ऐसे बुरे दौर से गुजरेगा। 25 सालों तक जिसने देश की सबसे ताकतवर सदन लोकसभा में अपना दबदबा कायम कर रखा हो, जिस परिवार की तीन पीढि़यों ने संसद का सफर तय किया हो । आज उस परिवार का एक भी सदस्य लोकसभा में नही है।

देश की लोकसभा में कभी आधा दर्जन सांसद रखने वाला यादव परिवार आज लोकसभा से साफ हो चुका है। जी हां हम बात कर रहें हैं मुलायम सिंह यादव के परिवार की। इस परिवार की तीन पीढि़यों ने संसद का सफर तय किया और यह कार्य अपने परिवार को मुलायम सिंह ने करवाया।

ढाई दशक में पहली बार मौका आया है जब मुलायम परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा में नहीं रह गया है। हालांकि, एक दौर में  यादव परिवार के छह सदस्य एक साथ संसद में हुआ करते थे, लेकिन अब लोकसभा में कोई नहीं बचा और राज्यसभा में सिर्फ रामगोपाल यादव हैं।

कभी लोकसभा में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार के आधे दर्जन सदस्य हुआ करते थे, लेकिन अब उनके निधन के बाद से लोकसभा में इस परिवार का कोई सदस्य नहीं बचा है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से देश के सबसे बड़े सियासी कुनबे का लोकसभा से सफाया हो गया है। अब लोकसभा में दो सांसद सपा से हैं और दोनों मुसलमान हैं। राज्यसभा में तीन में से एक यादव, एक मुसलमान और एक जया बच्चन हैं।

मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन 1992 में किया था। 1996 में समाजवादी पार्टी ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और मुलायम सिंह मैनपुरी सीट से सांसद बने थे। इसके बाद से मुलायम परिवार के सदस्यों का संसद पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ और 2014 में मुलायम परिवार से छह सदस्य संसद में एक साथ रहे। मुलायम सिंह, रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव, अक्षय यादव और डिंपल यादव  एकसाथ सांसद रहे थे।

वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह परिवार से दो सदस्य ही संसद में पहुंचे थे।  मुलायम परिवार के तीन सदस्य चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव क्रमश: आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। मगर उनके परिवार के तीन अन्य सदस्यों डिम्पल यादव, धर्मेन्द्र यादव, अक्षय यादव और शिवपाल यादव को हार का सामना करना पड़ा था।

अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव को कन्नौज सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक के हाथों 12,353 मतों से परास्त होना पड़ा. इसके अलावा फिरोजाबाद सीट से अखिलेश के चचेरे भाई अक्षय यादव और बदायूं सीट से एक अन्य चचेरे भाई धर्मेन्द्र यादव को अपनी-अपनी सीट गंवानी पड़ी।

जहां मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से लोकसभा के लिये चुने गए थे। वहीं अखिलेश यादव आजमगढ़ से लोकसभा सांसद हुये थे। लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। जिससे यादव परिवार से मात्र एक मुलायम सिंह ही लोकसभा मे रह गये थे। 2022 के उपचुनाव में आजमगढ़ सीट पर यादव परिवार से ही धर्मेंद्र यादव को उतारा गया था। लेकिन वह बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ से चुनाव हार गये। इस तरह लोकसभा मे सपा का एक ही सांसद रह गया।  और अब मुलायम सिंह के निधन के बाद संख्या जीरो पर पहुंच गई है।

मुलायम सिंह के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर छह महीने में उपचुनाव होने हैं। अखिलेश यादव खुद मैनपुरी सीट से उपचुनाव लड़ेंगे या फिर परिवार के ही किसी सदस्य को मैदान में उतारेंगे, इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अभी अखिलेश यादव मैनपुरी की ही करहल सीट से विधायक हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं, जिसके चलते उनके चुनाव लड़ने की संभावना कम है। क्योकि अखिलेश यादव खुद को यूपी की राजनीति में रखेंगे, तो मैनपुरी सीट पर मुलायम का सियासी वारिस कौन होगा? आइये यादव समाज पर ये महत्वपूर्ण विश्लेषण-

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