क्या सरकार के अफसरों के निशाने पर है यादव समाज?
पंचायतीराज विभाग का यादवों के खिलाफ तुगलकी आदेश

यादव समाज को लेकर आजकल चर्चा जोरों पर है। इटावा का कथावाचक कांड अभी ठंडा भी नही पड़ा था कि उत्तर प्रदेश के पंचायती राज निदेशालय के एक आदेश ने मात्र यादवों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया ।
उत्तर प्रदेश के पंचायती राज निदेशालय की ओर से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे राज्यभर में यादव और मुस्लिमों के अवैध कब्जे वाली जमीनों को मुक्त कराने का अभियान शुरू करें. 29 जुलाई को जारी एक पत्र में उत्तर प्रदेश के पंचायती राज निदेशालय ने सभी जिलाधिकारियों को 57,691 ग्राम पंचायतों में जाति विशेष (यादव) और धर्म विशेष (मुस्लिम) द्वारा अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया. पंचायती राज के संयुक्त निदेशक सुरेंद्र नाथ सिंह की ओर जारी निर्देश में कहा गया है, ‘ग्राम सभा की भूमि, तालाबों, खाद के गड्ढों, खलिहानों, खेल के मैदानों, श्मशान घाटों और ग्राम पंचायत भवनों को एक विशेष जाति (यादव) और एक विशेष धर्म (मुस्लिम) द्वारा अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.’
इस निर्देश के साथ बीजेपी नेता विवेक श्रीवास्तव की ओर से मुख्यमंत्री को 6 जुलाई को लिखे गए पत्र की एक प्रति भी संलग्न थी. वहीं, शनिवार को बलिया के जिला पंचायती राज अधिकारी अवनीश कुमार श्रीवास्तव द्वारा खंड विकास अधिकारियों को एक फॉलो-अप आदेश जारी करने के बाद यह मामला और गरमा गया. बलिया के जिला अधिकारी ने लिखा, ‘कृपया अपने-अपने ब्लॉकों में ग्राम सभा की संपत्तियों को… उल्लिखित समुदायों के अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाकर आवश्यक कार्रवाई करें.’
पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक एसएन सिंह ने जो आदेश जारी किया था, उसकी कॉपी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी. इसे लेकर लोगों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और इस तरह के अधिकारियों को तुरंत पद से हटाने की मांग करने लगे. सोशल मीडिया पर हड़कंप मचने के बाद इसकी जानकारी सीएम तक पहुंचाई गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीर प्रशासनिक चूक मानते हुए संयुक्त निदेशक एसएन सिंह को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया. सीएम योगी ने साफ शब्दों में कहा है कि इस तरह की भाषा और सोच न केवल शासन की नीतियों के खिलाफ है, बल्कि समाज में विभाजन पैदा करने वाली है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध कब्जों के खिलाफ कार्यवाही पूरी निष्पक्षता, तथ्यों और कानून के अनुसार होनी चाहिए, न कि जाति या धर्म के आधार पर ऐसा होना चाहिए.
इस निर्देश को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘जो भी गैर-कानूनी हो उसके खिलाफ कार्रवाई हो क्योंकि अवैध तो अवैध होता फिर क्यों किसी जाति या धर्म विशेष के लोगों को टारगेट किया जा रहा है. न्यायपालिका तुरंत संज्ञान ले, ये संविधान विरोधी काम है. हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे. पीडीए को जितना प्रताड़ित किया जाएगा, पीडीए एकता उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी.’
भीम आर्मी के संस्थापक और सांसद चंद्रशेखर ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘यादव और मुस्लिम समुदाय का नाम लिखकर टारगेट करते हुए जमीन कब्जा हटाने का योगी आदित्यनाथ के पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का यह आदेश न सिर्फ गैर- संवैधानिक है, बल्कि घोर जातिवादी और सांप्रदायिकता से भरा हुआ है. पूरी तरह राजनीति से प्रेरित यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 पर सीधा प्रहार करता है. साथ ही, यह कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली के तहत अनुशासनहीनता है, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि अधिकारी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते.’
उन्होंने कहा, ‘हम यूपी सीएम से मांग करते हैं कि अगर इस मामले में सरकार की नियत साफ है, तो दोषी अफसरों पर सिर्फ निलंबन ही नहीं, बल्कि FIR दर्ज कर सेवा से बर्खास्तगी की कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.’