यादवो के नाम शिवपाल सिंह यादव की चिट्ठी के क्या हैं राजनैतिक मायने ?
लखनऊ, प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी पर यदुवंशियों के नाम एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें उन्होने धर्म की लड़ाई मे यदुवंशियों से साथ आने की अपील की है।
यूपी विधानसभा चुनाव के बाद से राजनीति मे लगभग अलग थलग पड़ चुके शिवपाल सिंह यादव, एकबार फिर अपनी बची खुची ताकत बटोरकर यूपी की राजनीति मे अपना एक खास स्थान बनाने के लिये प्रयास रत हैं। इसके लिये हाल ही में उन्होंने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का पुनर्गठन कर प्रदेश की कमान अपने पुत्र आदित्य यादव को सौंप दी है।
भारतीय राजनीति हिंदू धर्म की तरह पूरी तरह से जाति में बंटी हुई है। इसलिये राजनीति में स्थान बनाने के लिये जरूरी है कि किसी एक प्रभावशाली जाति को पकड़ा जाये। यूपी की राजनीति मे यादव, जाटव, ब्राह्मण, कुर्मी, मौर्या, जाट , राजभर, निषाद आदि जातियों की विशेष अहमियत है। इनमें भी सत्ता मुख्यतया यादव, जाटव और ब्राह्मण के इर्द गिर्द ही घूमती है। इन तीन जातियों में से किसी एक को पकड़कर ही यूपी की राजनीति मे खास स्थान बनाया जा सकता है।
अब शिवपाल सिंह यादव के लिये सबसे आसान रास्ता इन सब जातियों में से अपनी बिरादरी का समर्थन हासिल करना है। वैसे उन्होने सत्ता में रहते हुये भी यादव समाज के सुख दुख मे भरपूर साथ दिया है। दूसरा यादव समाज मे घुसपैठकर वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी हिसाब बराबर कर सकतें हैं। जिसका बिना नाम लिये उल्लेख उन्होंने यादवों को संबोधित अपने पत्र में किया है। उन्होंने गीता के उपदेश का जिक्र करते हुए चिट्ठी में लिखा है, “जब भी कोई कंस अपने पिता को छल-बल से अपमानित कर पद से हटाकर अनाधिकृत आधिपत्य स्थापित करता है, तो धर्म की रक्षा के लिए मां यशोदा के लाल ग्वालों के सखा योगेश्वर श्रीकृष्ण अवश्य अवतार लेते हैं। वे अपनी योग माया से अत्याचारियों को दंड देकर धर्म की स्थापना करते हैं।” चिट्ठी की अंतिम पंक्तियां कविता के रूप में है, जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि शिवपाल यादव धर्म ध्वजा उठाकर कर्तव्य पथ पर निकल चुके हैं और यदुवंशी उनके साथ आने में कहीं देर ना कर दें। शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर यदुवंशियों का आह्वाहन किया है-
आह्वान… pic.twitter.com/qu7kBEcCip
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) August 19, 2022
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