योगेंद्र यादव ने दिया इस्तीफा, जानिये क्या है खास कारण?
नई दिल्ली, स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने इस्तीफा दे दिया है। गुरुद्वारा रकाबगंज में एक संवाददाता सम्मेलन में योगेंद्र यादव के त्यागपत्र को सार्वजनिक किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने ये खुलासा किया है।
योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे अपने पत्र में कहा है कि योगेंद्र यादव ने कहा, “31 अगस्त की जूम मीटिंग में मैंने आप सब को सूचित कर दिया था कि मैं अब संयुक्त किसान मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य की जिम्मेवारी नहीं निभा पाऊंगा. पिछले कुछ समय से मुझे महसूस हो रहा है कि इस किसान विरोधी (और देश विरोधी) मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए यह जरूरी है कि जमीन पर चल रहे सभी जन आंदोलनों (किसान और मजदूर आंदोलन; बेरोजगारी, मंहगाई और अग्निपथ जैसे मुद्दों के आंदोलन आदि) और इस सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़े विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को जोड़ा जाए. इसलिए मैं किसान आंदोलन के साथ-साथ अन्य आंदोलनों से भी संपर्क में हूं. अपनी पार्टी स्वराज इंडिया के साथ साथ अन्य राजनीतिक दलों के साथ समन्वय की कोशिश में भी लगा हुआ हूं. मेरी उम्मीद है कि इन कोशिशों से किसान आंदोलन के हाथ भी मजबूत होंगे.”
उन्होंने किसान संगठन से अपील की कि उन्हें उनकी जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि ‘‘जय किसान आंदोलन’’ के एक सदस्य होने के नाते, वह हमेशा एसकेएम के एक ‘‘सिपाही’’ बने रहेंगे। अपने इस्तीफे में योगेंद्र यादव ने अपनी जिम्मेदारी ‘जय किसान आंदोलन’ संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपने का ऐलान किया है।
योगेंद्र यादव किसान आंदोलनों का एक अहम हिस्सा रहे हैं। इस बीच कमेटी से उनके इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में भी नई अटकलों को भी जन्म दिया है। दरअसल योगेंद्र यादव का यह इस्तीफा कांग्रेस के ‘भारत जोड़ो अभियान’ से जुड़ने के अगले दिन आया है। एसकेएम की एक राष्ट्रीय आम सभा की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें किसान नेताओं दर्शन पाल, राकेश टिकैत सहित अन्य मौजूद थे। एसकेएम ने एक बयान में कहा कि एसकेएम ने 26 नवंबर को प्रत्येक राज्य में रैलियां आयोजित करने और उन राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपने का भी फैसला किया। बयान के अनुसार 2021 में उसी दिन हुई लखीमपुर खीरी घटना के विरोध में एसकेएम तीन अक्टूबर को ‘काला दिवस’ मनाएगा। बयान में कहा गया है, ‘देश में हर जगह इसे काला दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए और केंद्र सरकार का पुतला जलाया जाएगा।’
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