‘ क्या इजरायली यहूदी भी यादव हैं ’ : एक राजनैतिक षणयंत्र

लखनऊ, यादव समाज को लेकर अब एक नया इतिहास गढ़ा जा रहा है। इजराय़ल और हमास युद्ध के बीच यादवों को इजरायली यहूदी बताया जा रहा है। ‘क्या इजरायली यहूदी भी यादव हैं ?’
सुदर्शन न्यूज़, एक हिंदुत्व समर्थक चैनल,  ने 22 अक्टूबर को, दो एपिसोड प्रसारित किए जो यादवों और यहूदियों के बीच समानताएं दर्शाते हैं। मूसा और भगवान कृष्ण के जीवन के बीच समानता की ओर इशारा करतें हैं। इससे पहले पत्रकार सुरेश चव्हाण ने अपने कार्यक्रम का एक टीजर जारी किया, जिस पर विवाद खड़ा हो गया। सुरेश चव्हाण वीडियो में कह रहे हैं, ‘क्या इजरायली यहूदी ही यदुवंशी या हमारे यादव हैं? जो महाभारत युद्ध के बाद पश्चिम के देशों में बस गए थे। दोनों के नामों का अर्थ भी सामान है और दोनों को विजय होने तक लड़ने का जूनून भी समान है। इतना ही नहीं महाभारत, बाइबिल और यहूदियों के धर्मग्रंथ के साथ पांच हजार साल पुराना  इतिहास का विश्लेषण भी प्रस्तुत किया है। इसबीच  ट्विटर पर सुदर्शन चैनल का हैशटेग ‘यादव ही यहूदी’ भी चलता रहा। ये हैशटेग यादव समुदाय को सामाजिक सीढ़ी में ऊपर होने का अहसास कराने और उसे हिंदुत्व को विशाल दायरे में समेटने की कोशिश के तौर पर चलाया गया था।

दैनिक समाचार पत्र ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अक्सर अपने तीखे और भड़काऊ कार्यक्रमों के लिए चर्चित हिंदुत्व समर्थक सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने 22 अक्टूबर को दो एपिसोड के कार्यक्रम ‘क्या यादव ही यहूदी हैं’ का प्रसारण कर यादवों और यहूदियों को एक बताने के साथ मोजेज और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में समानता ढूंढने की कोशिश की।

दरअसल यादवों को लेकर ये नया इतिहास यूं ही नही गढ़ा जा रहा है। इसके सामाजिक और राजनैतिक मायने भी हैं। बीजेपी के हिंदुत्व की ताकत मुस्लिम विरोध पर टिकी है। जितना मुसलमानों का विरोध होगा , उतना ही हिंदू जातियां एकजुट होंगी और बीजेपी की राजनैतिक ताकत बढेगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा यादव समाज है। अगड़ी, पिछड़ी , दलित जातियों मे यादव ही ऐसी जाति है जिसपर बीजेपी के इस हथकंडे का कोई असर नहीं पड़ता है। जिसके कारण देश के ज्यादातर राज्यों में मुसलमानों के साथ हिंदुओं की केवल एक ही जाति यादव  ही खड़े नजर आतें हैं। सबसे खास बात ये है कि प्रचलित लोक धारणाओं के मुताबिक़ यादव ख़ुद को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानते हैं लेकिन यादवों ने अभी तक मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन को लेकर कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

लेकिन सवाल ये उठता है कि मात्र यादव जाति के बीजेपी के साथ न आने से बीजेपी पर क्या फर्क पड़ रहा है? इसके दो कारण हैं। पहला कि यादव भारत की सबसे अधिक आबादी वाली जाति है। जिसकी आबादी पूरे देश में लगभग 16 प्रतिशत है। इतने बड़े जनसमुदाय को कोई भी राजनैतिक दल नजर अंदाज नही कर सकता है। दूसरा, यादवों के बीजेपी का समर्थन न करने पर बीजेपी की हिंदू एकता खंडित दिखाई देती है। जिसका असर हिंदुओं की अन्य दलित और पिछड़ी जातियों पर भी पड़ सकता है। और वे भविष्य में बीजेपी के कट्टर मुस्लिम विरोध से मुंह मोड़ सकतीं हैं।

इसलिये यादवों को यहूदियों से जोड़ने का ये नया प्रयोग कर, यादवों को मुसलमानों के खिलाफ बताने की इमेज गढ़ी जा रही है। क्योंकि इजरायल के यहूदियों की सीधी लड़ाई मुस्लिम संगठन हमास से है। और ये बात हिंदुत्व समर्थक सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रमुख चेहरे सुरेश चह्वाणके ने कार्यक्रम में अनजाने में ही उजागर कर दी है। ‘द हिंदू’ लिखता है सुदर्शन न्यूज़ के प्रमुख चेहरे सुरेश चह्वाण ने कार्यक्रम में कहा कि चैनल के रिसर्च से पता चला है कि ज़्यादातर यादव मानते हैं कि वो यहूदी हैं।लेकिन केवल इस समुदाय के राजनीतिक नेताओं को छोड़ कर क्योंकि उन्हें मुस्लिमों का वोट चाहिए। इससे स्पष्ट है कि ये यादवों के खिलाफ एक सामाजिक और राजनैतिक षणयंत्र है जो 2024  के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुये गढ़ा जा रहा है।

वहीं,   सोशल मीडिया पर सुदर्शन टीवी का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। ’सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाओं में  एक यूजर ने लिखा,  यदुवंशी भाई(यादव) गाय की पूजा, सनातन धर्म का पालन करते हुए मूर्ति पूजा भी करते हैं लेकिन सुरेश चव्हाणके ने बताया कि वह तो यहूदी हैं और यहूदी तो गौमांस भी खाते हैं, मूर्ति पूजा का भी विरोध करते हैं, एक ईश्वर को मानते हैं तो यादव भाइयों बताओ क्या आप इसकी बात से सहमत हो?

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