यादव विरोधी बयान देकर अमित शाह की खुल गई पोल ?

लखनऊ, भाजपा नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मुजफ्फरपुर में जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुये कहा है कि यादव और मुस्लिम आबादी बढ़ाकर दिखाया गया है। अमित शाह के इस बयान से उनकी पोल खुल गई है और इससे बिहार ही नही देश में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। अमित शाह के इस बयान से अब उनकी राजनैतिक समझ पर सवाल उठ रहें हैं-

1-जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देखरेख मे हुई हैं। जो कि ना तो यादव हैं और नाही मुसलमान बल्कि वह कुर्मी समाज से आतें हैं। अगर  बढ़वाना होता तो वह अपनी जाति की संख्या बढ़वाते नाकि यादव और मुसलमान की।

2- अमित शाह के इस बयान का आधार क्या है? आखिर किस आधार पर देश का गृहमंत्री इतना बड़ा बयान दे रहा है और एक बड़े राज्य की सर्वे रिपोर्ट को झुठला रहा है? क्या अमित शाह के पास कोई आफिशियल रिपोर्ट या सर्वे आदि के आंकड़े हैं? या सिर्फ जुमलेबाजी है? वे किस आधार पर कह रहे हैं कि  बढ़ाया या घटाया गया है? बिहार की जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट वैज्ञानिक डेटा है। उनके पास इसका विरोध करने का पुख्ता आधार होना चाहिए। लेकिन वह हवाहवाई बयान दे रहें हैं।

3- अमित शाह का यह कहना कि, पिछड़ों की आबादी को कम करके दिखाया गया है, हास्यास्पद लगता है। अमित शाह को शायद ये नही मालूम है कि यादव पिछड़े वर्ग में ही आतें हैं। अगर यादवों की संख्या बढ़ी है तो पिछड़ों की आबादी ही बढ़ेगी।

4-क्या अमित शाह यादव और मुस्लिम को देश से अलग मानतें हैं और उन्हें यादव और मुस्लिम से इतनी घृणा है कि उन्हें यादव और मुस्लिम आबादी बर्दाश्त नही हो रही है और वह जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट को ही बिना किसी आधार के झुठला रहें हैं?

5-अमित शाह के यादव विरोधी बयान से ये तो साफ है कि वे बात हिंदू एकता की करतें हैं लेकिन यादवों को हिन्दू नही मानतें हैं। अगर हिंदू मानते तो उन्हे यादवों की बढ़ी आबादी पर खुश होना चाहिये था नाकि बिना किसी आधार के उसे झुठलाते?

6-अगर अमित शाह को लगता है कि जातिगत जनगणना ठीक से नहीं हुई है तो वह क्यों नही नए तरीके से इस जनगणना को पूरे देश में करा लेतें हैं?

 

 

 

 

 

 

 

Related Articles

Back to top button