मरीजों के हक में डाक्टर आमरण अनशन पर , कहीं तो कुछ गड़बड़ है
एम्स का दर्जा प्राप्त वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सरसुंदर लाल अस्पताल में पिछले कई दिनों से हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष ओमशंकर यादव आमरण अनशन पर हैं। बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी के डॉक्टरों की टीम ने भी स्वास्थ्य परीक्षण किया। डॉक्टरों के अनुसार। हालांकि प्रोफेसर ओम शंकर ने भोजन त्याग दिया है, ऐसे में उनके वजन में करीब छह किलो की गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही उनका ब्लड प्रेशर भी सामान्य से कम हो गया है।
विभागाध्यक्ष डा0 ओमशंकर की मांग है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे चिकित्सा अधीक्षक डॉ केके गुप्ता को पद से हटाया जाए और बढ़ते हृदयरोगियों के मुताबिक बेड बढ़ाया जाए। इतना ही नहीं अनशन पर बैठे डॉ ओमशंकर ने वर्तमान के BHU कुलपति पर भी नियम विरूद्ध तरीके से BHU के संचालन और नियुक्ति का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मरने दम तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीं BHU अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने सभी ओरोपों को बेबुनियाद बताया है और यहां तक कह दिया कि उनके साथ किसी तरह की अनहोनी होती है तो उसके जिम्मेदार डॉ ओमशंकर होंगे।
डॉ ओमशंकर ने बताया कि, ‘जहां आईएमएस को एम्स जैसा दर्जा मिला, वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को “इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस” के तौर पर विकसित करने के लिए बजट/धनराशि भी मिली। लेकिन दुःख की बात यह है कि संस्थान के विकास के लिए दिए गए धन का सदुपयोग मरीजों की सुविधाओं को बढ़ाने की बजाय उसका दुरुपयोग यहां के अधिकारियों द्वारा अपनी समृद्धि हासिल में किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता आज चरम पर है। कुलपति की अक्षमता का आलम यह है कि वो अपने 2 सालों से ज्यादा के कार्यकाल में अबतक विश्व विद्यालय को चलाने के लिए अति आवश्यक “एक्जीक्यूटिव काउंसिल” तक का गठन नहीं कर पाए।’
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि, ‘नियमों की धज्जियां उड़ाकर चुनाव आचार संहिता के दौरान भी नियुक्तियां कर रहे हैं जो कि एक प्रशासनिक अपराध है। कुलपति न सिर्फ खुद इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के नाम पर मिले धन का दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि विश्व विद्यालय के वो अधिकारी जो भ्रष्टाचार में शामिल हैं। उनको खुलेआम संरक्षण भी दे रहे हैं। वो महामना काल के कई पेड़ों को काटकर रोज बेच रहे हैं।’
हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 ओमशंकर का आमरण अनशन पर होने के बावजूद मरीजों से रिश्ता छूटा नहीं है अपने चेंबर में आमरण अनशन पर बैठे डॉ ओमशंकर लगातार मरीजों को देख कर दवा भी लिख रहे हैं। उनकी दलील है कि मरने वाले में हर तीसरे व्यक्ति की मौत की वजह अगर हृदयरोग है तो अस्पताल में हर तीसरा बेड हृदय रोगियों के लिए होना चाहिए। बीएचयू के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है जब रोगियों के अधिकार के लिए कोई विभागाध्यक्ष आमरण अनशन पर बैठा है।
आम आदमी को स्वास्थ्य का अधिकार दिए जाने की उनकी लड़ाई पहले से ही जारी है। उनका कहना है कि सरकारें कभी भी आम आदमी के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं रही है। आज भी लोग बिना इलाज के मर रहे है।
इस बीच, डॉ ओमशंकर को बीएचयू के शिक्षकों और छात्रों ने अनशन स्थल पर पहुंचकर अपना समर्थन दिया। वहीं डॉ ओमशंकर के आमरण अनशन के समर्थन में विश्वविद्यालय के छात्रों ने आक्रोश मार्च भी निकाला।
अनशन के कई दिन बीत गए अब बीएचयू प्रशासन की ओर से प्रोफेसर ओम शंकर की मांगों पर कार्यवाही का इंतजार है।डॉ ओमशंकर आमरण अनशन पर है और विश्वविद्यालय प्रशासन मौन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बीएचयू के मुख्य द्वार पर स्थित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लौट गए। लेकिन एक डॉक्टर का मरीजों के हक में आमरण अनशन पर बैठना बताता है कहीं तो कुछ गड़बड़ है।